जो भी कर रहे हैं, सब काल की फाँस है: सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज
- Deepak Singh
- Nov 05, 2023

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज रखबंधु, जम्मू में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को अध्यात्म रस में सराबोर करते हुए कहा कि नाम के अलावा आप जो भी सोच रहे हैं, जो भी कर रहे हैं, सब काल की फाँस है। जिस समय आप सुमिरन कर रहे हैं, काल का जोर उस समय आपपर नहीं चलता है। जैसे आदमी करेंट को हाथ नहीं लगाता है। ऐसे ही जब तक नाम में लगा है तो यम के दूत भी हाथ नहीं लगाते हैं। मरने पर साहिब ने बहुत कुछ कहा। जब मृत्यु आती है तो भेद पता चलता है। दो तरह से आप जान सकते हैं। जब आप नैन पलटेंगे तो आपकी ही देह की परछाईं आपको दिखेगी। विराट की साधना करने वाले जान सकते हैं कि किस दिन वो शरीर छोड़ेंगे। यह एक कला है। जिस दिन सिर नहीं दिखे तो उसी दिन से 6 महीने बाद मौत होगी। दूसरा, जब दिन में सूर्य हो तो अपनी परछाईं तो पलक झपके बिना 1 मिनट तक देखना। फिर एकाएक आसमान में देखना। वहाँ आपको अपनी परछाईं पूरी दिखेगी। अगर शीश नहीं दिखे तो उस दिन से 6 महीने बाद आपकी मौत होगी। यह एक पक्का संकेत है। किसी धर्म शास्त्र में यह नहीं मिलेगा। यह साहिब ने बोला। इस शरीर से सिग्नल मिलेंगे। आपको सपने की अवस्था में डाला जाता है। वहाँ आप वो काम कर लेते हैं, जो जाग्रत में नहीं कर सकते हैं। वहाँ भी आपको एक शरीर मिलता है। उसी को नित्य मानता है। इस तरह मौत के समय भी काल एक शरीर में डालता है। उसी देह को निरंजन पकड़ता है। अगर उस समय सुमिरन कर रहे हैं तो काल नहीं आयेगा। यमदूत भी पास नहीं आयेंगे। तो साहिब कह रहे है कि यम की देह शरीर के बिना है। इसलिए जब वो दिखेगी तो 6 महीने के अन्दर आपकी मौत होगी। वो झाईं का शरीर है। वो झाईं निरंजन की देही है। काल आत्मा को नहीं पकड़ सकता है। इसलिए आत्मा को अपने झाईं वाले शरीर में डालता है। फिर पकड़ता है।